NCERT Geography Notes Class 9 Ch 4 इस अध्याय में भारत की जलवायु के बारे में एवम इसे प्रभावित करने वाले सभी कारको के बारे में बताया गया है।

भूगोल एक रोचक विषय है| ये विषय विश्व के भौगोलिक(भौतिक) परिस्थितियों को जानने में हमारी मदद करता है। वर्तमान समय मे इस विषय में भी छात्रों की रुचि बढ़ती जा रही है। इस विषय को पढ़ने के बाद हम इस विश्व के बारे में बहुत कुछ जान सकते है और जानते भी है। जिसमे मुख्य रूप से पहाड़ो, पर्वतों,नदियों, महासागरों एवम जीव जगत व पादप जगत की भी जानकारी मिलती है। इस विषय मे सबसे महत्वपूर्ण तत्व है मानचित्र जो कि भौतिक जगत के बारे में हमारी समझ मे और ज़्यादा इज़ाफ़ा करता है। इस विषय मे खगोलशास्त्र(ब्रह्माण्ड) के बारे में बताया गया है।
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इस विषय को पढ़ने को बहुत से फायदे भी है जिसमे पहला ये है कि इससे हमारी भौगोलिक ज्ञान में संवृद्धि करती है। दूसरा फायदा ये है कि ये विषय बहूत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमारी मदद करता है| भूगोल विषय मे सूचनाओं व रोचक जानकारियों का भी भरमार है जिसमें हमें सामान्य अध्ययन के बहूत से सवालो का जवाब मिलता है| भूगोल हमे ये समझने में भी मदद करता है जिन परिस्थितियों में आज हम जी रहे है वही परिस्थितियां पुराने समय मे कैसी थी और समय के साथ इसमें कैसे बदलाव आया है। भूगोल को पढ़ते समय ये हमे विभिन्न भौतिक परिस्थितियों से अवगत करवाती है जिसमे हम समकालीन समय के विश्व की आपस मे दूसरे देशों के साथ कर सकते है।
NCERT Geography Class 9 इस पुस्तक में हमारे देश के बारे में बताया गया है। जिसमे मुख्य रूप से नदी, जलवायु, जनसंख्या, वनस्पति व वन्य प्राणी आदि के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक में कुल 6 अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठो के नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :
इस अध्याय में मुख्य रूप से भारत की नदियों के बारे में बताया गया है। जिसमे गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी आदि नदियों के बारे में बताया गया है।
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विषयवस्तु
3.अपवाह
4.जलवायु
5.प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
6.जनसंख्या
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अध्याय 4
जलवायु
प्रस्तावना
इस अध्याय में भारत की जलवायु के बारे में एवम इसे प्रभावित करने वाले सभी कारको के बारे में बताया गया है।
1.एक विशाल क्षेत्र में लंबे समयावधि(30 वर्ष से अधिक) में मौसम की अवस्था तथा विविधताओं का कुल योग जलवायु कहलाता है (भारत के जलवायु मानसूनी)|
2.तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर व नवंबर में होती है|
3.गंगा की घाटी में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्ष की मात्रा घटती जाती है|
4.जलवायु के कारक:- अक्षांश, तुंगता(ऊंचाई), वायु दाब, पवन तंत्र, समुन्द्र से दूरी, महासागरीय धाराएं तथा उच्चावच लक्षण|
5.कर्क वृत देश के मध्य से, पश्चिम में कच्छ के रनसे पूर्व में मिज़ोरम से होकर गुज़रती है|
6.दक्षिण पश्चिम मानसून पवन:- गर्मी के दिनों में वायु हिन्द महासागर के उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब क्षेत्र की ओर बहती है|
7.स्थल तथा जल के के गर्म तथा ठंडा होने के कारण भारत के स्थलभाग पर निम्न दाब तथा समुन्द्र पर निम्न दाब का क्षेत्र बनता है इस दाब के परिवर्तन को दक्षिणी दोलन के नाम से जाना जाता है|
8.मानसूनी पवन नियमित नही है(जून से लेकर मध्य सितंबर के बीच| सामान्यतः जून के प्रथम सप्ताह में मानसून भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर से प्रवेश करता है| इसके बाद दो शाखा(अरब सागर व बंगाल की खाड़ी) में बंट जाता है|
9.शीत ऋतु के अंत में कर्नाटक व केरल में पूर्व मानसूनी वर्षा इसमे आम जल्दी पक जाते है इसे आम्र वर्ष भी कहा जाता है|
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अगला अध्याय
इस अध्याय में भारत मे पाए जाने वाली वनस्पतियो के बारे बताया है। जिसमे इसके सभी प्रकारों के बारे में भी बताया गया है।
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