NCERT History Notes Class 11 Ch 7 इस अध्याय में 14वी सदी से 17वी सदी में यूरोप के शहरों के बारे मे बताया गया है। मुद्रण इतिहास की भी चर्चा है।

आजकल इतिहास एक रोचक विषय बनाता जा रहा है| जिसमें मुख्य रूप से इसके जानकारियों के स्रोतों में होने वाली वृद्धि के कारण संभव हुआ है| इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है प्रथम प्राचीन इसके बाद मध्यकालीन व इसके बाद का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है| आज से कुछ वर्ष पहले तक पाठक इतिहास को पढ़ने तक बचते थे परंतु अब पाठक भी इस विषय को रुचि से पढ़ते है|इस विषय को पढ़ने को बहुत से फायदे भी है जिसमे पहला ये है कि इससे हमारी तार्किक शक्ति बढ़ती है दूसरा फायदा ये है कि ये विषय बहूत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमारी मदद करता है|
इतिहास विषय मे सूचनाओं व रोचक जानकारियों का भी भरमार है जिसमें हमें सामान्य अध्ययन के बहूत से सवालो का जवाब मिलता है| इतिहास हमे ये समझने में भी मदद करता है जिन परिस्थितियों में आज हम जी रहे है वही परिस्थितियां पुराने समय मे कैसी थी और समय के साथ इसमें कैसे बदलाव आया है। इतिहास को पढ़ते समय ये हमे विभिन्न परिस्थितियों से अवगत करवाती है जिसमे हम तत्कालीन समय के सभ्यताओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ते है ।
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NCERT History Class 11 इस पुस्तक में मुख्य रूप से विश्व इतिहास के बारे में संक्षेप रूप मे बताया गया है| इस पुस्तक में कुल 11 अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :
इस अध्याय में यूरोप के तीन वर्गों के बारे में बताया गया है जो कि पादरी, अभिजात व कृषक वर्ग है।
विषयवस्तु
3.तीन महाद्वीपो में फैला हुआ साम्राज्य
4.इस्लाम का उदय और विस्तार – लगभग 570- 1200 ई.
6.तीन वर्ग
7.बदलती हुई सांस्क़ृतिक परम्पराएँ
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अध्याय 7
बदलती हुई सांस्क़ृतिक परम्पराएँ
प्रस्तावना
इस अध्याय में 14वी सदी से 17वी सदी में यूरोप के शहरों के बारे मे बताया गया है। मुद्रण इतिहास की भी चर्चा है।
1.14वी से 17वी सदी तक यूरोप में नगरों की संख्या बढ़ी(फ्लोरैंस, वेनिस रोम) कला व विद्या के केंद्र थे| कला व विद्या के ग्रन्थु ने मानवतवाद के विचार को फैलाया|
2.12वी सदी के रेशम मार्ग के व्यापार में यूरोपीय देशों के इटली नगरों ने विशेष भूमिका निभाई|
3.यूरोप में सबसे पहले विश्वविद्यालय इटली के श्रेस्रो में | 11वी सदी से पादुआ व बोलोनिया विश्वविद्यालय विधिशास्त्र का अध्ययन केंद्र|
4.बहुत कुछ जानना अभी बाकी था और हम वो धार्मिक शिक्षा से नही जान सकते इसे मानवतावाद कहा गया| एक से अधिक रुचि/महारत वाले व्यक्ति-रेनेसॉ|
5.इतिहासकारों का मानना- 14वी सदी के बाद नए युग का जन्म 5-14वी सदी(मध्य युग)| 5-9(अंधकार), 9-11(आरंभिक मध्य युग), 11-14(उत्तर मध्य युग), 15वी सदी आधुनिक|
6.यूनानी विद्वान अरबी वव फ़ारसी कृतियों का अनुवाद कर रहे थे यूरोप में प्रचार के लिए|
7.15वी सदी से इसका उपयोग- उन अध्यापको के लिए जो व्याकरण,अलंकारशास्त्र, कविता, इतिहास, नीतिदर्शन विषय पढ़ते|
8.फ्लोरैंस की प्रसिद्धि दो लोगों के के कारण- दांते अलीगहियरी(1265- 1321) धार्मिक विषयो पर लिखा| कलाकार जोटो(1267-1337) जीते-जागते रूपचित्र|
9.1416 दोन्नातल्लो सजीव मूर्ति के चित्र बनाकर नई परंपरा चलाई| आन्द्रीयस वेसेलियस पहले व्यक्ति, मनुष्य के शरीर की चीर-फार की(1514-64)|
10.शरीर विज्ञान,रेखाचित्र, भौतिकी ने इतालवी कला को एक नया रूप दिया जो यथार्थवाद कहलाया|1417 से शास्त्रीय शैली का जन्म ये कला की नई शैली|
11.1455 में जोहानेस गुटेनबर्ग पहले छापेखाने का निर्माण बाइबिल की 150 प्रतियां छपी।
12.सार्वजनिक जीवन मे महिलाओं की भागीदारी सीमित-व्यापारी परिवारों में स्थिति बेहतर|
13.किसानों ने चर्च द्वारा लगाए अनेक कलाकारों का विरोध दिया राजा भी चर्च की कार्यवाहियों से चिढ़ते थे|
14.1517 जर्मन युवा भिक्षुक मार्टिन लूथर किंग चर्च के खिलाफ अभियान(प्रोटोस्टेट सुधारवाद)| जर्मनी व स्विट्ज़रलैंड के चर्च ने पोप व कैथलिक चुरछ ने अपने संबंध समाप्त किए-चर्च भी अब आंतरिक सुधार शुरू किए|
15.प्रोटोस्टेट लोगो से संघर्ष के लिए 1540 में सोसाइटी ऑफ जीसस नामक संस्था की स्थापना की|
16.कोपरनिकस सिद्धान्त- पृथ्वी सहित सारे ग्रह सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाते है| अपने पांडुलिपी दी रेवोलुशनिबस अपने अनुयायी जोशिम रिटिकस को सौंपी|
17.जोहानिस केप्लर(1571- 1630) , गैलीलियो गैलिली( 1564- 1642)| कैप्लर ग्रंथ(कॉस्मोग्राफिकल मिस्ट्री) कोपरनिकस सिद्धान्त को महत्वपूर्ण बनाया सिद्ध हुआ- ग्रह सूर्य की परिक्रमा दीर्घ वृताकार मार्ग पर|
18.बकहार्ट ने 14वी सदी के लिए पुनर्जागरण शब्द का। प्रयोग किया| हालाकि इसके पहले के समय मे भी पुनर्जागरण के तत्व मौजूद थे|
19.इस काल मे जीवन सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में विभाजित| भाषा के आधार पर भी यूरोप के अनेक क्षेत्रों ने अपनी पहचान बनानी शुरू की|
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अगला अध्याय
इस अध्याय में 15वी-17वी सदी में यूरोपवासियों का उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों के संघर्ष के बारे में है।
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