NCERT History Notes Class 12 Ch 1 इस अध्याय में हड़प्पा/सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में बताया गया है जिसका काल निर्धारण मुख्य रूप से 2600-1900ई.पू. के बीच माना जाता है।

आजकल इतिहास एक रोचक विषय बनाता जा रहा है| जिसमें मुख्य रूप से इसके जानकारियों के स्रोतों में होने वाली वृद्धि के कारण संभव हुआ है| इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है प्रथम प्राचीन इसके बाद मध्यकालीन व इसके बाद का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है| आज से कुछ वर्ष पहले तक पाठक इतिहास को पढ़ने तक बचते थे परंतु अब पाठक भी इस विषय को रुचि से पढ़ते है|इस विषय को पढ़ने को बहुत से फायदे भी है जिसमे पहला ये है कि इससे हमारी तार्किक शक्ति बढ़ती है दूसरा फायदा ये है कि ये विषय बहूत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमारी मदद करता है| इतिहास विषय मे सूचनाओं व रोचक जानकारियों का भी भरमार है जिसमें हमें सामान्य अध्ययन के बहूत से सवालो का जवाब मिलता है| इतिहास हमे ये समझने में भी मदद करता है जिन परिस्थितियों में आज हम जी रहे है वही परिस्थितियां पुराने समय मे कैसी थी और समय के साथ इसमें कैसे बदलाव आया है। इतिहास को पढ़ते समय ये हमे विभिन्न परिस्थितियों से अवगत करवाती है जिसमे हम तत्कालीन समय के सभ्यताओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ते है ।
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NCERT History Class 12 इस पुस्तक में मुख्य रूप से भारतीय इतिहास(प्राचीन,मध्य व आधुनिक) के बारे में बताया गया है| इस पुस्तक में कुल 15 अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :
ये अध्याय History Class 12 का पहला अध्याय है इससे पहले History Class 11 के अध्याय है।
विषयवस्तु
7.एक साम्राज्य की राजधानी-विजयनगर
13.महात्मा गांधी व राष्ट्रीय आंदोलन
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अध्याय 1
ईंटे, मनके व अस्थियां
प्रस्तावना
इस अध्याय में हड़प्पा/सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में बताया गया है जिसका काल निर्धारण मुख्य रूप से 2600-1900ई.पू. के बीच माना जाता है।
1.हड़प्पा मुहर सेलखड़ी नामक पत्थर से निर्मित| इस सभ्यता का पता 1924 में चला विकसित हड़प्पा काल 2600- 1900 ई.पू.|
2.लोग गेंहू,जौ,राई,मटर,सरसो,टिल,दाल आदि उपजाते व पशुओं को भी पालते, कुबेर वाला सांड़ प्यारा|
3.सबसे पहले कपास उपजने का श्रेय इसी सभ्यता को| शोर्तघई(अफगानिस्थान) में नेहरू के अवशेष, धौलावीरा में जलाशयों के प्रमाण|
4.मोहनजोदड़ों,सबसे प्रसिद्ध, बस्तियां दो भाग में विभाजित| छोटी बस्ती ऊंचाई(दुर्ग) पर बड़ी बस्ती नीचे (नीचला शहर)| यहां इट का अनुपात निश्चित था| सड़के व गालियां ग्रिड पद्धति|
5.प्रत्येक घर का अपना स्नानागार था(इट के फर्श),के आवास में कुए| यहां से एक विशाल मालगोदाम45.71 मी. लंबा व 15.23 मी. चौड़ा|
6.एक विशाल स्नानागार की भी प्राप्ति तल तक जाने के लिए उत्तरी व दक्षिणी ओर से सीढ़िया| इसके तीनो ओर कमरे थे, एक मे एक बड़ा कुआं भी था|
7.मृतकों को गर्तों में दफनाया जाता था|कब्रो में रोजमर्रा की चीजे पाई गई है, बहुमूल्य वस्तुओं को दफनाने में विश्वास नही था|
8.चन्हूदड़ो(7हेक्टेयर), पूरी तरह से शिल्प-उत्पादन में संलगन, इसमें मनके,शंख,धातुनिर्माण,मुहर व बाट बनाना शामिल| नागेश्वर बालाकोट(समुन्द्रतट) शंख की वस्तुओं का विशिष्ट निर्माण केंद्र|
9.शोर्तघई नीले रंग के लाजवर्द मनी का अच्छा स्रोत, कार्नेलियन(लोथल), सेलखड़ी(दक्षिणी राजस्थान, उत्तरी गुजरात), धातु राजस्थान के निकट| तांबे का आयात ओमान से| मेसोपोटामिया से संबंध। के साक्ष्य मिले है|
10.हड़प्पा लिपि में चिन्हों की संख्या बहुत अधिक (350- 375), अभी तक पढ़ी नही गयी है|
11.बाट का निर्माण चर्ट नामक पत्थर से, निचले मानदंड द्विआधारी(1,2,4,8,….) ऊपरी। मानदंड दशामलव प्रणाली का अनुसरण| तौल में 16 या उसके आवरतको का इस्तेमाल(16,64,160,320,….)|
12.मोहनजोदड़ो एक विशाल मूर्ति को पुरोहित राजा की संज्ञा| कुछ लोग मानते है कि शासक थे कुछ लोग मानते है कि शासक नही थे|
13.सभ्यता का अंत, पुरावस्तुओं समाप्त। हो जाना, लंबी दूरी व्यापार व लेखन की समाप्ति| जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, बाढ़, नदियों का सुखना। या। उनका मार्ग बदलना|
14.कनिंघम भारतीय सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल| दया राम साहनी, राखाल दास बनर्जी व जॉन मार्शल(1924 में डायरेक्टर जनरल) ने हड़प्पा संभ्यता की खोज की|
15.1944 में R.E.M. व्हीलर डायरेक्टर जनरल बने, क्षैतिज उत्खनन के स्थान पर स्तर विन्यास का अनुसरण किया||
16.आभूषणो से लदी एक नारी मृण्मूर्ति मिली है जिसे मातृदेवी की संज्ञा दी गयी है| कुछ मुहरों पर आदमी को पालथी मारकर योगी की मुद्रा में दिखाया गया है आद्य शिव की संज्ञा|कुछ मुहरों पर पेड़-पौधे, प्रकृति पूजा के संकेत | मुहरों पर जानवरो को भी बनाया गया था|
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अगला अध्याय
इस अध्याय में 16 महाजनपदों एवम इसी के साथ साथ प्रथम साम्राज्य मौर्य साम्राज्य के बारे में बताया गया है।
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