NCERT History Notes Class 12 Ch 3 इस अध्याय में महाभारत के इतिहास व समय के साथ इसमें होने वाले बदलावों के बारे में बताया गया है।

आजकल इतिहास एक रोचक विषय बनाता जा रहा है| जिसमें मुख्य रूप से इसके जानकारियों के स्रोतों में होने वाली वृद्धि के कारण संभव हुआ है| इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है प्रथम प्राचीन इसके बाद मध्यकालीन व इसके बाद का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है| आज से कुछ वर्ष पहले तक पाठक इतिहास को पढ़ने तक बचते थे परंतु अब पाठक भी इस विषय को रुचि से पढ़ते है|इस विषय को पढ़ने को बहुत से फायदे भी है जिसमे पहला ये है कि इससे हमारी तार्किक शक्ति बढ़ती है दूसरा फायदा ये है कि ये विषय बहूत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमारी मदद करता है|
इतिहास विषय मे सूचनाओं व रोचक जानकारियों का भी भरमार है जिसमें हमें सामान्य अध्ययन के बहूत से सवालो का जवाब मिलता है| इतिहास हमे ये समझने में भी मदद करता है जिन परिस्थितियों में आज हम जी रहे है वही परिस्थितियां पुराने समय मे कैसी थी और समय के साथ इसमें कैसे बदलाव आया है। इतिहास को पढ़ते समय ये हमे विभिन्न परिस्थितियों से अवगत करवाती है जिसमे हम तत्कालीन समय के सभ्यताओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ते है ।
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NCERT History Class 12 इस पुस्तक में मुख्य रूप से भारतीय इतिहास(प्राचीन,मध्य व आधुनिक) के बारे में बताया गया है| इस पुस्तक में कुल 15 अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :इस अध्याय में 16 महाजनपदों एवम इसी के साथ साथ प्रथम साम्राज्य मौर्य साम्राज्य के बारे में बताया गया है।
विषयवस्तु
7.एक साम्राज्य की राजधानी-विजयनगर
13.महात्मा गांधी व राष्ट्रीय आंदोलन
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अध्याय 3
बंधुत्व, जाति तथा वर्ग
प्रस्तावना
इस अध्याय में महाभारत के इतिहास व समय के साथ इसमें होने वाले बदलावों के बारे में बताया गया है।
1.पाली,तमिल व प्राकृत आम लोगो की भाषा वहीं संस्कृत पुरोहित व विशेष वर्ग द्वारा|
2.महाभारत वर्तमान में। एक लाख से अधिक श्लोक-1000 वर्षो तक रचना(लगभग 500 ई.पू. से), सरल। संस्कृत का प्रयोग|
3.वी.एस. सुकंथाकार, महाभारत के समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने। की शुरुआत, अपना प्रकाशन 13000 पृष्ठ में| परियोजना में 47 वर्ष लगे|
4.पितृवंशिकता का अर्थ उस परंपरा से जो पिता से पुत्र, फिर पौत्र, फिर प्रपौत्र से चलती|ज़्यादातर राजवंश इसका अनुशरण करते|
5.बहिर्विवाह(गोत्र से बाहर विवाह) अच्छा माना जाता था| कन्या दान पिता का धार्मिक कर्त्तव्य माना गया|
6.लगभग 500 ई.पू. से अचार संहिताओं का संकलन धर्मसूत्र व धर्मशास्त्र ग्रंथो में| मनुस्मृती का संकलन 200 ई.पू.-200ई. तक| धर्मसूत्र व धर्मशास्त्र में 8 तरह का विवाह स्वीकृत पहले चार को उत्तम|
7.लगभग 1000 ई.पू. दो नियम विवाह बाद पति का गौत्र अपनाना होता, एक ही गौत्र के बीच वैवाहिक संबंध नही हो सकता था|
8.ब्राह्मणों कहते थे कि वर्ण-व्यवस्था दैवीय व्यवस्था| इन। वर्णो के आधार पर इनके कर्तव्यो का निर्धारण किया गया था|| मौर्यो को ब्राह्मण निम्न कुल का मानते, वही शुंग व कण्व ब्राह्मण थे| शको को ब्राह्मण मलेक्ष मानते, वहीं सातवाहन अंतर्विवाह का एवम मातृसत्तात्मक पद्धति का पालन करते|
9.चार वर्णों के अलावा कांड-मूल व शिकार करने वाले समूह को निषाद वर्ग से जोड़ा गया|
10.जो लोग शवो की अत्येष्टि व मृत पशु को छूते (चांडाल), ब्राह्मण इन्हें देखने को भी अशुभकारी मानते| इन्हें गांव के बाहर ही रहना छूट|
11.पिता की मृत्यु के बाद जयदाद का। सामान बंटवारा बड़ा बेटा विशेष भाग का अधिकारी| स्त्रियों को विवाह में मिले स्त्रीधन पर अधिकार|
12.महाभारत में आख्यान(कहानी संग्रह) व उपदेशात्मक(सामाजिक आचार-विचार का मापदंड)| मूल कथा के रचयिता भाट सारथी|
13.इसके एक और रचना काल का चरण 200ई.पू. से 200ई.|विष्णु। की आराधना प्रभावी|लगभग 200- 400ई. मनुस्मृति से कुछ अंश महाभारत में जुड़े|
14.महाभारत की चुनौतीपूर्ण कथा- द्रौपदी का पांडवो से विवाह(बहुपति प्रथा)| समय के साथ ये प्रथा अमान्य हुई|
15.महाभारत ,कालांतर में अनेक पाठान्तर भिन्न-भिन्न भाषाओं में|इस कथा की अनेक पुनर्व्याख्या भी। की गई|
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अगला अध्याय
इस अध्याय में बुद्ध के बारे में बताया गया है इसी के साथ-साथ बौद्ध धर्म के विकास के बारे में भी बताया गया है।
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