NCERT History Notes Class 12 Ch 4 इस अध्याय में बुद्ध के बारे में बताया गया है इसी के साथ-साथ बौद्ध धर्म के विकास के बारे में भी बताया गया है।

आजकल इतिहास एक रोचक विषय बनाता जा रहा है| जिसमें मुख्य रूप से इसके जानकारियों के स्रोतों में होने वाली वृद्धि के कारण संभव हुआ है| इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है प्रथम प्राचीन इसके बाद मध्यकालीन व इसके बाद का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है| आज से कुछ वर्ष पहले तक पाठक इतिहास को पढ़ने तक बचते थे परंतु अब पाठक भी इस विषय को रुचि से पढ़ते है|इस विषय को पढ़ने को बहुत से फायदे भी है जिसमे पहला ये है कि इससे हमारी तार्किक शक्ति बढ़ती है दूसरा फायदा ये है कि ये विषय बहूत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमारी मदद करता है|
इतिहास विषय मे सूचनाओं व रोचक जानकारियों का भी भरमार है जिसमें हमें सामान्य अध्ययन के बहूत से सवालो का जवाब मिलता है| इतिहास हमे ये समझने में भी मदद करता है जिन परिस्थितियों में आज हम जी रहे है वही परिस्थितियां पुराने समय मे कैसी थी और समय के साथ इसमें कैसे बदलाव आया है। इतिहास को पढ़ते समय ये हमे विभिन्न परिस्थितियों से अवगत करवाती है जिसमे हम तत्कालीन समय के सभ्यताओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ते है ।
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NCERT History Class 12 इस पुस्तक में मुख्य रूप से भारतीय इतिहास(प्राचीन,मध्य व आधुनिक) के बारे में बताया गया है| इस पुस्तक में कुल 15 अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :इस अध्याय में महाभारत के इतिहास व समय के साथ इसमें होने वाले बदलावों के बारे में बताया गया है।
विषयवस्तु
7.एक साम्राज्य की राजधानी-विजयनगर
13.महात्मा गांधी व राष्ट्रीय आंदोलन
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अध्याय 4
विचारक, विश्वास और इमारते
प्रस्तावना
इस अध्याय में बुद्ध के बारे में बताया गया है इसी के साथ-साथ बौद्ध धर्म के विकास के बारे में भी बताया गया है।
1.सांची(भोपाल के अवशेष) अनोखे थे| सांची की खोज 1818 में| मेजर कनिंघम ने यहां कई हफ़्तों तक अन्वेशण किया|
2.फ्रांसीसियों व अंग्रेजो ने सांची के पूरवी तोरणद्वार को अपने संग्रहालयों में प्रदर्शित करने के लिए मंगा पर परन्तु शाहजहां बेगम(1868- 1901) प्लास्टर की प्रतिकृतिया ही दी|
3.शाहजहां बेगम व इनके उत्तराधिकार सुलतांजहाँ बेगम ने स्तुपू के रखरखाव के लिए अनुदान दिए सुलतांजहाँ ने यहां एक संग्रहालय व अतिथिशाला भी बनवाया|
4.ई.पू. प्रथम शताब्दी ईरान में जरथुस्त्र, चीन में खुगत्तसी, यूनान में सुकरात, प्लेटो में अरस्तू, भारत में महावीर, बुद्ध व अन्य का उदय हुआ|
5.ऋग्वेद में कई देवताओ की स्तुति, राजसूय व अश्वमेघ यज्ञ सबसे बड़े यग में से थे|
6.6ठी शताब्दी ई.पू. महावीर का जन्म, जैन के 24 तीर्थकर(वह महापुरुष जो लोगो के। जीवन को नदी के पार पहुंचता है|
7.जैन धर्म मे प्रत्येक वस्तु में प्राण की अवधारणा, इसके अहिंसे के सिद्धांत से कई लोग प्रभावित| जन्म पुनर्जन्म का निर्धारण कर्म द्वारा, कर्म के चक्र से मुक्ति के लिए त्याग व तपस्या | जैन साधु/साध्वी 5 व्रत करते: हत्या न करना,चोरी न करना, झूठ न बोलना, ब्रह्मचर्य व धन संग्रह न करना|
8.बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धान्त, शाक्य कबीले(सरदार) से संबंध, पिता शुद्धोधन एक। बार उन्होंने एक वृद्ध, एक बीमार व एक लाश को देखा उन्हें। ये सब देख कर दुख हुआ, फिर उन्होंने सन्यासी को देख जो बहुत सुखी था उन्होंने निश्चय। किया कि सन्यासी बनेंगे|
9.सुत्तपिटक में बुद्ध की शिक्षाओं की कहानियां| शिखा- विश्व अनित्य है, ये आत्मविहीन है, दुख मनुष्य के जीवन का अंतर्निहित तत्व| माध्यम मार्ग के द्वारा इन दुखो से मुक्ति मिल सकती है|
10.आत्मज्ञान व निर्वाण(अहं व इच्छा का खत्म हो जाना) के लिए व्यक्ति केंद्रित हस्तक्षेप व सम्यक कर्म का मार्ग बताया।
11.आगे चलकर संघ की स्थापना जिसमे भिक्षु रहते बाद में महिलाएं भी शामिल| बुद्ध का प्रिय शिष्य आंनद|गौतमी पहली भिक्खुनी बनी जिन्हें निर्वाम की प्राप्ति हुई(चेरी)|
12.जहां विशेष वनस्पति,चट्टाने, व प्राकृतिक सौंदर्य था व पवित्र स्थान(चैत्य) बन जाते थे|बुद्ध का। जन्म लुम्बनी,ज्ञान प्राप्ति बोधगया, पहला उपदेश सारनाथ, निर्वाण प्राप्ति(कुशीनगर)| धीरे धीरे ये स्थल स्तूप बने|
13.स्तूप अर्थ(टीला), टीले के चारो ओर एक वेदिका(पत्थर की)| तोरणद्वार पर नक्कासी की गई थी|
14.कई प्रारंभिक मूर्तियों में बुद्ध को प्रतीकों के माध्यम से दिखाया गया है|
15.बोधिसत्त व इंसान जो अपने सत्कर्मो से पुण्य कमाता था और इसक्क प्रयोग दुसरो की भलाई के लिए करते थे ये परंपरा महायान के नाम से| ये लोग अन्य परंपराओं को हीनयान मानते थे
16.विष्णु के 10 अवतार थे| शूद्रों व महिलाओं को वैदिक साहित्य पढ़ने व सुनने का अधिकार। नही था, ये पुराण सुन सकते थे|
17.प्रारम्भ में मंदिर एक चौकोर कमरे के रूप में जो गर्भगृह कहलाता बाद में। मंदिरों में विकास होता गया|
18.कैलाशनाथ मंदिर, पूरी पहाड़ी को काटकर उसे मंदिर बनाया गया|
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अगला अध्याय
इस अध्याय में दूसरे देशों से आये लोगो ने भारत मे अपने अनुभव अपनी पुस्तको के माध्यम से प्रस्तुत किये है।
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