NCERT History Notes Class 7 Ch 8. इस अध्याय में मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की चर्चा की गई है| जिसमे भक्ति के भिन्न भिन्न प्ररूपो की चर्चा की गई है जिसमें सभी लोगो का अपना-अपना मत था। कुछ लोगो ने इनका समर्थन किया तो कुछ ने इनकी आलोचना भी की|

आजकल इतिहास एक रोचक विषय बनाता जा रहा है| जिसमें मुख्य रूप से इसके जानकारियों के स्रोतों में होने वाली वृद्धि के कारण संभव हुआ है| इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है प्रथम प्राचीन इसके बाद मध्यकालीन व इसके बाद का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है| आज से कुछ वर्ष पहले तक पाठक इतिहास को पढ़ने तक बचते थे परंतु अब पाठक भी इस विषय को रुचि से पढ़ते है|
इस विषय को पढ़ने को बहुत से फायदे भी है जिसमे पहला ये है कि इससे हमारी तार्किक शक्ति बढ़ती है दूसरा फायदा ये है कि ये विषय बहूत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमारी मदद करता है| इतिहास विषय मे सूचनाओं व रोचक जानकारियों का भी भरमार है जिसमें हमें सामान्य अध्ययन के बहूत से सवालो का जवाब मिलता है|
इतिहास हमे ये समझने में भी मदद करता है जिन परिस्थितियों में आज हम जी रहे है वही परिस्थितियां पुराने समय मे कैसी थी और समय के साथ इसमें कैसे बदलाव आया है। इतिहास को पढ़ते समय ये हमे विभिन्न परिस्थितियों से अवगत करवाती है जिसमे हम तत्कालीन समय के सभ्यताओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढ़ते है ।
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NCERT History Class 7 इस पुस्तक में मुख्य रूप से मध्यकालीन भारतीय इतिहास के बारे में संक्षेप रूप मे बताया गया है| इसमें मध्याकालीन भारतीय इतिहास की एक भूमिका को उजागर करने का प्रयास भी किया गया है| इस पुस्तक में कुल 10 अध्याय है और हमारे द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार किये गए है।
पिछले अध्याय के बारे में :
इस अध्याय में जनजाति समूहों की क्षेत्रीय। विशेषताओ के। आधार पर चर्चा की गई है| इसी के साथ साथ घुमंतू समुदायों की भी चर्चा की गई है| बहूत। से समुदाय बाद में जातियों में शामिल हो गए थे|
विषयवस्तु
1.हज़ार वर्षो के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
7.जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए साम्राज्य
8.ईश्वर से अनुराग
9.क्षेत्रीय संस्कृतियो का निर्माण
10.18वी शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
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अध्याय 8
ईश्वर से अनुराग
प्रस्तावना
इस अध्याय में मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की चर्चा की गई है| जिसमे भक्ति के भिन्न भिन्न प्ररूपो की चर्चा की गई है जिसमें सभी लोगो का अपना-अपना मत था। कुछ लोगो ने इनका समर्थन किया तो कुछ ने इनकी आलोचना भी की|
1.पहले लोग समूह में अपने देवी-देवताओ की पूजा करते थे|
2.धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से शिव, दुर्गा व विष्णु की पूजा होती थी| बाद में क्षेत्रीय देवी देवताओं को भी इन्ही का रूप माना जाने लगा|
3.7वी-9वी सदी में अलवार व नयनार के नेतृत्व में धार्मिक आंदोलन इनके संत सभी जाति से| बौद्ध धर्म व जैन धर्म के आलोचक| जहां जाते थे वहाँ। के देव-देवताओ की प्रशंसा में गीत/कविताए लिखते|
4.8वी सदी में दार्शनिक शंकर का जन्म केरल में| इनके अनुसार आत्मा परमात्मा एक ही है, ब्रह्म समाज सत्य है निर्गुण व निराकार है| मोक्ष अपनाने के लिए ज्ञान मार्ग का उपदेश दिया|
5.वीरशैव आंदोलन कर्नाटक में 12वी सदी के मध्य में| मूर्तिपूजा व कर्मकांडो के विरुद्ध थे|
6.13वी-17वी सदी में जनेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम जैसे प्रमुख संत| कर्मकांड, पवित्रता के ढोंग, सामाजिक अंतर व सन्यास का विरोध किया|
7.नरसी मेहता ने कहा था “वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे”|
8.धार्मिक समूह (नाथपंथी,सिद्धाचार, योगी) का उदभव| योगासन, प्राणायाम चिंतन मनन के माध्यम से मन को शांत करने का मार्ग सुझाया एवम शरीर को कठोर परिश्रम की बात कही|
9.मुस्लिम विद्वानों ने धार्मिक कानून शरीयत बनाया| गज्जाली, रूमी व सादी (सूफी संत प्रसिद्ध थे)|
10.11वी सदी में सुफीजन मध्य एशिया से भारत आये चिश्ती सिलसिला महत्वपूर्ण ( औलियाओं की लंबी श्रृंखला – अजमेर(ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती), क़ुतुउद्दीन बख़्तियार काकी( दिल्ली), बाबा फरीद(पंजाब) एवं (दिल्ली) के ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया|
11.सूरदास कृष्ण भक्त रचनाये सूरसागर, सारावली व साहित्य लहरी|
12.मीराबाई विवाह 16वी सदी में मेवाड़ के राजसी घराने में रविदास इनके गुरु जो अछूत माने जाते थे| इनके गीतों ने उच्चजाति के रीति-रिवाजो को चुनौती दी|
13.कबीर 15वी-16वी सदी में लालन पालन बनारस में मुसलमान बुनकर परिवार में इनके भजन गुरु ग्रंथ साहिब, पंचवाणी व बीजक में | हिन्दू व मुसलमान के आडंबरपूर्ण पूजा परंपरा का। मजाक उड़ाया|
14.गुरुनानक तलवड़ी ( ननकाना साहिब) में जन्म करतारपुर (रावी नदी के तट) में केंद्र स्थापित किया| उनके अनुयायी सांझी रसोई में खाते-पीते जो लंगर कहलाता था|
15.अपने उपदेश को 3 शब्दो में बताया नाम, दान व इस्नान| नाम से आशय सही उपासना, दान (दुसरो की भलाई), इस्नान( आचार-विचार की शुद्धता)|1539 में मृत्यु, गुरु अंगद को अपना अनुयायी बनाया|
16.नानक के अलावा अंगद के तीन अधिकारियों ने भी नानक नाम से रचना की | 1706 में गुरु गोबिंद सिंह ने सभी रचनाओं को एक साथ संकलित किया जो कि गुरु ग्रंथ साहिब कहलाती है|
17.1606 में जहांगीर ने गुरु अर्जन को मृत्यु दंड दिया| 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा संघ की स्थापना की|
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अगला अध्याय
इस अध्याय में बताया गया है कि कैसे किसी एक खास स्थान की कोई पहचान (भाषा,वेषभूषा) के कारण ही वो स्थान विख्यात हो जाती हैं| इसमें इन्ही बातों को केंद्र में रखकर बताया गया है कि कैसे इन संस्कृतियो का निर्माण हुआ|
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